समन्वयक - अनिल कुमार गुप्ता "पुस्तकालय अध्यक्ष "
कविता - 1
छोटे बच्चे लगते प्यारे
छोटे बच्चे लगते प्यारे
जो होते अपने माँ - बाप की आँखों के तारे
होते हैं जो सबसे दुलारे
बच्चे होते दिल के प्यारे
सबके लिए जो होते दुलारे
होते जो अपने माँ - बाप के बुढ़ापे के सहारे
दादा - दादी के होते दुलारे
तभी करते इनसे प्यार सारे ||
कविता - 2
बेटियाँ
बेटियाँ होती हैं सबकी प्यारी
बेटियों से है दुनिया निराली
घर होता इनके बिन खाली
बेटियाँ होती हैं सबकी दुलारी
बेटियाँ होतीं सबसे न्यारी
इसने ही दशहरा इनसे ही दीवाली
इनसे रोशन होती घर की फुलवारी
बेटियाँ होती हैं दिल की प्यारी ||
Good evening sir. Nice poem sir.
ReplyDeleteNice pome sir
ReplyDeleteआप सभी के प्रयास का परिणाम है ये | सभी को ढेर सारी बधाइयां |
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