जीवन
पुष्प सा खिलता जीवन
खुशबू सा महकता जीवन
संस्कारों से पोषित जीवन
स्वयं को संजोता जीवन
हँस - खेलकर बढ़ता जीवन
पढ़ता है तो संवरता जीवन
कभी रोता कभी हँसता जीवन
संघर्ष में भी संभलता जीवन
मेहनत से संवरता जीवन
हर एक पल बढ़ता जीवन
धूप - छाँव से पोषित होता जीवन
गिर - गिरकर संभलता जीवन
संस्कृति का विस्तार है जीवन
प्रकृति का आधार है जीवन
जीवन से रोशन होता जीवन
पुष्प सा महकता जीवन I I
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